shiv chalisa lyricsl for Dummies

दिवाली से पहले बन रहा गुरु पुष्य योग, जानें सबसे अच्छा क्यों है?

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥

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ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥

कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥

ब्रह्म – कुल – वल्लभं, सुलभ मति दुर्लभं, विकट – वेषं, विभुं, वेदपारं ।

अर्थ: हे अनंत एवं नष्ट न होने वाले अविनाशी भगवान भोलेनाथ, सब पर कृपा करने वाले, सबके घट में वास करने वाले शिव शंभू, आपकी जय हो। हे प्रभु काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंहकार जैसे तमाम दुष्ट मुझे सताते रहते हैं। इन्होंनें मुझे भ्रम में डाल दिया है, जिससे मुझे शांति नहीं मिल पाती। हे स्वामी, इस विनाशकारी स्थिति से मुझे उभार लो यही उचित अवसर। अर्थात जब मैं इस समय shiv chalisa lyricsl आपकी शरण में हूं, मुझे अपनी भक्ति में लीन कर मुझे मोहमाया shiv chalisa lyricsl से मुक्ति दिलाओ, सांसारिक कष्टों से उभारों। अपने त्रिशुल से इन तमाम दुष्टों का नाश कर दो। हे भोलेनाथ, आकर मुझे shiv chalisa lyricsl इन कष्टों से मुक्ति दिलाओ।

शिव आरती

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